प्यार करने की यह इस दिल को सज़ा दी जाए; उसकी तस्वीर सरे-आम लगा दी जाए; ख़त में इस बार उसे भेजिये सूखा पत्ता; और उस पत्ते पे इक आँख बना दी जाए; इतनी पी जाए कि मिट जाए मन-ओ-तू की तमीज़; यानि ये होश की दीवार गिरा दी जाए; आज हर शय का असर लगता है उल्टा यारो; आज `शहज़ाद' को जीने की दुआ दी जाए। |