Hakim Momin Khan Momin Hindi Shayari

  • तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना करने;
    हम तो कल ख़्वाब-ए-अदम में शब-ए-हिज्राँ होंगे।
    ~ Hakim Momin Khan Momin
  • मुझ पे तूफ़ाँ...

    मुझ पे तूफ़ाँ उठाये लोगों ने;
    मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने;

    कर दिए अपने आने-जाने के;
    तज़किरे जाये-जाये लोगों ने;

    वस्ल की बात कब बन आयी थी;
    दिल से दफ़्तर बनाये लोगों ने;

    बात अपनी वहाँ न जमने दी;
    अपने नक़्शे जमाये लोगों ने;

    सुनके उड़ती-सी अपनी चाहत की;
    दोनों के होश उड़ाये लोगों ने;

    क्या तमाशा है जो न देखे थे;
    वो तमाशे दिखाये लोगों ने;

    कर दिया 'मोमिन' उस सनम को ख़फ़ा;
    क्या किया हाये- हाये लोगों ने।
    ~ Hakim Momin Khan Momin
  • थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब;
    वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब।
    ~ Hakim Momin Khan Momin
  • वो जो हममें तुममें क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो;
    वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो;
    वह जो लुत्फ़ मुझपे थे पेश्तर वह करम कि था मेरे हाल पर;
    मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो।
    ~ Hakim Momin Khan Momin