तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना करने; हम तो कल ख़्वाब-ए-अदम में शब-ए-हिज्राँ होंगे। |
मुझ पे तूफ़ाँ... मुझ पे तूफ़ाँ उठाये लोगों ने; मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने; कर दिए अपने आने-जाने के; तज़किरे जाये-जाये लोगों ने; वस्ल की बात कब बन आयी थी; दिल से दफ़्तर बनाये लोगों ने; बात अपनी वहाँ न जमने दी; अपने नक़्शे जमाये लोगों ने; सुनके उड़ती-सी अपनी चाहत की; दोनों के होश उड़ाये लोगों ने; क्या तमाशा है जो न देखे थे; वो तमाशे दिखाये लोगों ने; कर दिया 'मोमिन' उस सनम को ख़फ़ा; क्या किया हाये- हाये लोगों ने। |
थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब; वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब। |
वो जो हममें तुममें क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो; वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो; वह जो लुत्फ़ मुझपे थे पेश्तर वह करम कि था मेरे हाल पर; मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो। |