Iqbal Suhail Hindi Shayari

  • है रश्क-ए-इरम वादी-ए-पुर-ख़ार-ए-मोहब्बत;<br/>
शायद उसे सींचा है किसी आबला-पा ने!Upload to Facebook
    है रश्क-ए-इरम वादी-ए-पुर-ख़ार-ए-मोहब्बत;
    शायद उसे सींचा है किसी आबला-पा ने!
    ~ Iqbal Suhail