Javed Akhtar Hindi Shayari

  • हम तो बचपन में भी अकेले थे;</br>
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे!Upload to Facebook
    हम तो बचपन में भी अकेले थे;
    सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे!
    ~ Javed Akhtar
  • यही हालात इब्तिदा से रहे;<br />
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे!<br /><br />
* इब्तिदा :आरम्भ, शुरुआत।
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    यही हालात इब्तिदा से रहे;
    लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे!

    * इब्तिदा :आरम्भ, शुरुआत।
    ~ Javed Akhtar
  • इन चिराग़ों में तेल ही कम था;<br/>
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे!Upload to Facebook
    इन चिराग़ों में तेल ही कम था;
    क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे!
    ~ Javed Akhtar
  • क्यों डरे कि ज़िन्दग़ी में क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे कि बुरा होगा;<br/>
बढ़ते रहे बस मंज़िलो की ओर, हमे कुछ मिले या ना मिले, तज़ुर्बा तो नया होगा!Upload to Facebook
    क्यों डरे कि ज़िन्दग़ी में क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे कि बुरा होगा;
    बढ़ते रहे बस मंज़िलो की ओर, हमे कुछ मिले या ना मिले, तज़ुर्बा तो नया होगा!
    ~ Javed Akhtar
  • ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे;<br/>
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का!Upload to Facebook
    ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे;
    ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का!
    ~ Javed Akhtar
  • जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता;<br/>
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता!Upload to Facebook
    जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता;
    मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता!
    ~ Javed Akhtar
  • जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता;<br/>
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता!Upload to Facebook
    जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता;
    मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता!
    ~ Javed Akhtar
  • मैं खुद भी सोचता हूँ...

    मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है;
    जिसका जवाब चाहिए, वो क्या सवाल है;

    घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था;
    क्या मुझसे खो गया है, मुझे क्या मलाल है;

    आसूदगी से दिल के सभी दाग धुल गए;
    लेकिन वो कैसे जाए, जो शीशे में बल है;

    बे-दस्तो-पा हू आज तो इल्जाम किसको दूँ;
    कल मैंने ही बुना था, ये मेरा ही जाल है;

    फिर कोई ख्वाब देखूं, कोई आरजू करूँ;
    अब ऐ दिल-ए-तबाह, तेरा क्या ख्याल है।
    ~ Javed Akhtar
  • दर्द अपनाता है...

    दर्द अपनाता है पराए कौन;
    कौन सुनता है और सुनाए कौन;

    कौन दोहराए वो पुरानी बात;
    ग़म अभी सोया है जगाए कौन;

    वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं;
    कौन दुख झेले आज़माए कौन;

    अब सुकूँ है तो भूलने में है;
    लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन;

    आज फिर दिल है कुछ उदास उदास;
    देखिये आज याद आए कौन।
    ~ Javed Akhtar
  • ऊँची इमारतों से मकां मेरा घिर गया​;
    ​कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए।
    ~ Javed Akhtar