सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ! *ग़ाफ़िल: गहरी नींद सोने वाला |
कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना; मोहब्बत क्या भले-चंगे को दीवाना बनाती है! |
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ! |