Meer Taqi Meer Hindi Shayari

  • या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय;<br/>
या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ!<br/><br/>

मानिंद-ए-जाम-ए-मय: शराब के पात्र की तरहUpload to Facebook
    या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय;
    या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ!

    मानिंद-ए-जाम-ए-मय: शराब के पात्र की तरह
    ~ Meer Taqi Meer
  • या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय;<br/>
या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ!Upload to Facebook
    या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय;
    या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ!
    ~ Meer Taqi Meer
  • दिल से रुख़स्त हुई कोई ख़्वाहिश;<br/>
गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता!<br/><br/>
Rukhsat, रुख़स्त: Departing<br/>
Giryaa, गिर्या: Tears, Crying<br/>
Be-Sabab, बे-सबब: Without any causeUpload to Facebook
    दिल से रुख़स्त हुई कोई ख़्वाहिश;
    गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता!

    Rukhsat, रुख़स्त: Departing
    Giryaa, गिर्या: Tears, Crying
    Be-Sabab, बे-सबब: Without any cause
    ~ Meer Taqi Meer
  • जी में क्या-क्या है अपने ऐ हम-दम;<br/>
पर सुखन ता-बलब नहीं आता!Upload to Facebook
    जी में क्या-क्या है अपने ऐ हम-दम;
    पर सुखन ता-बलब नहीं आता!
    ~ Meer Taqi Meer
  • उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया,<br/>
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया। Upload to Facebook
    उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया,
    देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया।
    ~ Meer Taqi Meer
  • गुल को महबूब में क़यास किया;
    फ़र्क़ निकला बहोत जो बास किया;

    दिल ने हम को मिसाल-ए-आईना;
    एक आलम से रू-शिनास किया;

    कुछ नहीं सूझता हमें उस बिन;
    शौक़ ने हम को बे-हवास किया;

    सुबह तक शमा सर को ढुँढती रही;
    क्या पतंगे ने इल्तेमास किया;

    ऐसे वहाशी कहाँ हैं अए ख़ुबाँ;
    'मीर' को तुम ने अबस उदास किया।
    ~ Meer Taqi Meer
  • आग थे इब्तिदा-इश्क़ में हम;
    हो गए ख़ाक इन्तहा है यह।
    ~ Meer Taqi Meer