या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय; या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ! मानिंद-ए-जाम-ए-मय: शराब के पात्र की तरह |
या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय; या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ! |
दिल से रुख़स्त हुई कोई ख़्वाहिश; गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता! Rukhsat, रुख़स्त: Departing Giryaa, गिर्या: Tears, Crying Be-Sabab, बे-सबब: Without any cause |
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हम-दम; पर सुखन ता-बलब नहीं आता! |
उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया, देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया। |
गुल को महबूब में क़यास किया; फ़र्क़ निकला बहोत जो बास किया; दिल ने हम को मिसाल-ए-आईना; एक आलम से रू-शिनास किया; कुछ नहीं सूझता हमें उस बिन; शौक़ ने हम को बे-हवास किया; सुबह तक शमा सर को ढुँढती रही; क्या पतंगे ने इल्तेमास किया; ऐसे वहाशी कहाँ हैं अए ख़ुबाँ; 'मीर' को तुम ने अबस उदास किया। |
आग थे इब्तिदा-इश्क़ में हम; हो गए ख़ाक इन्तहा है यह। |