Mumtaz Rashid Hindi Shayari

  • परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;<br/>
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।Upload to Facebook
    परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
    अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।
    ~ Mumtaz Rashid
  • परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
    अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।
    ~ Mumtaz Rashid