अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा; मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है! |
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है; मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है! |
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है; तुम ने देखा नहीं आँखों का समंदर होना! |
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो; तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो! |
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो; तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है! |
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती; बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती। |
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू; मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना। |
मैं वो मेले में भटकता हुआ एक बच्चा हूँ, जिसके माँ-बाप को रोते हुए मर जाना है; एक बेनाम से रिश्ते की तमन्ना लेकर, इस कबूतर को किसी छत पे उतर जाना है। |
हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है; हमारे शहर में पत्थर भी लाल होता है; मैं शोहरतों की बुलंदी पर जा नहीं सकता; जहाँ उरूज पर पहुँचो ज़वाल होता है; मैं अपने बच्चों को कुछ भी तो दे नहीं पाया; कभी-कभी मुझे ख़ुद भी मलाल होता है; यहीं से अमन की तबलीग रोज़ होती है; यहीं पे रोज़ कबूतर हलाल होता है; मैं अपने आप को सय्यद तो लिख नहीं सकता; अजान देने से कोई बिलाल होता है; पड़ोसियों की दुकानें तक नहीं खुलतीं; किसी का गाँव में जब इन्तिकाल होता है। |
सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है; मगर जब गुफ़्तगू करता है चिंगारी निकलती है; लबों पर मुस्कुराहट दिल में बेज़ारी निकलती है; बड़े लोगों में ही अक्सर ये बीमारी निकलती है। |