Rahi Mastana Hindi Shayari

  • ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो;<br/>
कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है।Upload to Facebook
    ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो;
    कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है।
    ~ Rahi Mastana