Saqi Faruqi Hindi Shayari

  • प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;</br>
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!Upload to Facebook
    प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;
    भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!
    ~ Saqi Faruqi
  • मुझ में सात समुंदर शोर मचाते हैं;<br/>
एक ख़याल ने दहशत फैला रखी है!Upload to Facebook
    मुझ में सात समुंदर शोर मचाते हैं;
    एक ख़याल ने दहशत फैला रखी है!
    ~ Saqi Faruqi
  • वही आँखों में और आँखों से पोशिदा भी रहता है,
    मेरी यादों में एक भूला हुआ चेहरा भी रहता है;

    जब उस की सर्द-मेहरी देखता हूँ बुझने लगता हूँ,
    मुझे अपनी अदाकारी का अंदाज़ा भी रहता है;

    मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता,
    मगर ख़ुद से बिछड़ जाने का अंदेशा भी रहता है;

    जो मुमकिन हो तो पुर-असरार दुनियाओं में दाख़िल हो,
    कि हर दीवार में एक चोर दरवाज़ा भी रहता है;

    बस अपनी बे-बसी की सातवीं मंज़िल में ज़िंदा हूँ,
    यहाँ पर आग भी रहती है और नौहा भी रहता है।
    ~ Saqi Faruqi
  • मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला;
    साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला;

    मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक;
    दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला;

    बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं;
    वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला;

    उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर;
    मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला;

    एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए;
    ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा-ए-मातम नहीं मिला।
    ~ Saqi Faruqi
  • रेत की सूरत जाँ प्यासी थी आँख हमारी नम न हुई;
    तेरी दर्द-गुसारी से भी रूह की उलझन कम न हुई;

    शाख़ से टूट के बे-हुरमत हैं वैसे बे-हुरमत थे;
    हम गिरते पत्तों पे मलामत कब मौसम मौसम न हुई;

    नाग-फ़नी सा शोला है जो आँखों में लहराता है;
    रात कभी हम-दम न बनी और नींद कभी मरहम न हुई;

    अब यादों की धूप छाँव में परछाईं सा फिरता हूँ;
    मैंने बिछड़ कर देख लिया है दुनिया नरम क़दम न हुई;

    मेरी सहरा-ज़ाद मोहब्बत अब्र-ए-सियह को ढूँडती है;
    एक जनम की प्यासी थी इक बूँद से ताज़ा-दम न हुई।
    ~ Saqi Faruqi
  • तुम और किसी के हो तो हम और किसी के;<br/>
और दोनों ही क़िस्मत की शिकायत नहीं करते।Upload to Facebook
    तुम और किसी के हो तो हम और किसी के;
    और दोनों ही क़िस्मत की शिकायत नहीं करते।
    ~ Saqi Faruqi