Shaad Azimabadi Hindi Shayari

  • रुस्वाइयाँ ग़ज़ब की हुईं...

    रुस्वाइयाँ ग़ज़ब की हुईं तेरी राह में;
    हद है कि ख़ुद ज़लील हूँ अपनी निगाह में;

    मैं भी कहूँगा देंगे जो आज़ा गवाहियाँ;
    या रब यह सब शरीक थे मेरे गुनाह में;

    थी जुज़वे-नातवाँ किसी ज़र्रे में मिल गई;
    हस्ती का क्या वजूद तेरी जलवागाह में;

    ऐ 'शाद' और कुछ न मिला जब बराये नज़्र;
    शर्मिंदगी को लेके चले बारगाह में।
    ~ Shaad Azimabadi