Shan Ahir Hindi Shayari

  • ये कफ़न ये कब्र ये जनाज़े रस्म-ऐ-शरियत है इक़बाल;
    मर तो इन्सान तभी जाता है जब कोई याद करने वाला ना हो!
    ~ Shan Ahir