Shehzad Ahmed Hindi Shayari

  • दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो;</br>
हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले!Upload to Facebook
    दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो;
    हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले!
    ~ Shehzad Ahmed
  • जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं;</br>
मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर!</br></br>
* जवाज़: जाइज़ होनाUpload to Facebook
    जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं;
    मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर!

    * जवाज़: जाइज़ होना
    ~ Shehzad Ahmed
  • हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;</br>
ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!Upload to Facebook
    हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;
    ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!
    ~ Shehzad Ahmed
  • जिस को जाना ही नहीं उस को ख़ुदा कैसे कहें;<br/>
और जिसे जान लिया हो वो ख़ुदा कैसे हो।Upload to Facebook
    जिस को जाना ही नहीं उस को ख़ुदा कैसे कहें;
    और जिसे जान लिया हो वो ख़ुदा कैसे हो।
    ~ Shehzad Ahmed
  • जिस को जाना ही नहीं उस को ख़ुदा कैसे कहें;
    और जिसे जान लिया हो वो ख़ुदा कैसे हो।
    ~ Shehzad Ahmed
  • अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है;<br/>
एक नज़र मेरी तरफ देख, तेरा जाता क्या है;<br/>
मेरी बर्बादी में तू भी है बराबर का शामिल;<br/>
मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है!Upload to Facebook
    अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है;
    एक नज़र मेरी तरफ देख, तेरा जाता क्या है;
    मेरी बर्बादी में तू भी है बराबर का शामिल;
    मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है!
    ~ Shehzad Ahmed