रात ख़्वाबों में आए थे तुम, और देखो; अभी तक महक रहा है, तुम्हारी ख़ुशबू से वो सिरहाना मेरा। |
नफरतों के जहान में हमको प्यार की बस्तियां बसानी हैं; दूर रहना कोई कमाल नहीं, पास आओ तो कोई बात बने। |
पहली मुलाकात थी, हम दोनों ही थे बेबस; वो जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को। |
इबादत की खुशबू पहुँचे तुम तक, अपने यकीन का इम्तिहान कर दूँ; आज मैं अपने अश्क को गंगा, और इश्क को कुरान कर दूँ। |
तुम्हें सोचा तो हर सोच से खुशबू आई, तुम्हें लिखा तो हर अल्फ़ाज महकता पाया। |
तू मेरी मज़बूरी बन गयी है ऐसे; कि साँस लेना जरुरी है जैसे। |
कौन कहता है मुलाक़ात हमारी आज की है; तू मेरी रूह के अंदर तो कई सदियों से है। |
भूख रिश्तों को भी लगती है, कभी प्यार परोस कर तो देखिये। |
हमने ज़िन्दगी बितायी आँख सिरहाने लेकर; रात दुल्हन सी आयी ख़्वाब सुहाने लेकर। |
तेरी इबादत का रंग इस कदर गहरा चढ़ा; नजर जहाँ पड़ी वहीं तेरा दीदार हुआ। |