इज़हार Hindi Shayari

  • मुझे कहाँ फ़ुर्सत है कि मैं मौसम सुहाना देखूँ;
    आपसे मेरी नज़र हटे तो मैं ये ज़माना देखूँ!
    ~ सुनंदा शर्मा
  • दिल के लुट जाने का इज़हार जरूरी तो नहीं,
    ये तमाशा सर-ए-बाज़ार जरूरी तो नहीं;
    मुझे था इश्क़ तेरी रूह से और अब भी है,
    जिस्म से हो कोई सरोकार जरूरी तो नही;
    मैं तुझे टूट कर चाहूँ ये तो मेरी फ़ितरत है,
    तू भी हो मेरा तलबगार जरूरी तो नहीं;
    ऐ सितमगर जरा झाँक जरा मेरी आँखों में,
    जुबां से हो प्यार का इज़हार जरूरी तो नहीं!
    ~ MUNIR HUSSAIN
  • दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे;</br>
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं!Upload to Facebook
    दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे;
    लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं!
    ~ Jaleel Aali
  • जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना;</br>
वस्ल से इंतज़ार अच्छा था!</br></br>
*वस्ल: मिलनUpload to Facebook
    जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना;
    वस्ल से इंतज़ार अच्छा था!

    *वस्ल: मिलन
    ~ Jaun Elia
  • इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है;<br />
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है!Upload to Facebook
    इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है;
    पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है!
    ~ Akbar Allahabadi
  • ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को;<br/>
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं!Upload to Facebook
    ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को;
    ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं!
    ~ Khumar Barabankvi
  • वक़्त नूर को बेनूर कर देता है,<br/>
छोटे से ज़ख्म को नासूर कर देता है;<br/>
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना,<br/>
पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है!Upload to Facebook
    वक़्त नूर को बेनूर कर देता है,
    छोटे से ज़ख्म को नासूर कर देता है;
    कौन चाहता है अपनों से दूर रहना,
    पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है!
  • दूरियों का ग़म नहीं अगर फ़ासले दिल में ना हों;<br/>
नज़दीकियां बेकार हैं अगर जगह दिल में ना हो!Upload to Facebook
    दूरियों का ग़म नहीं अगर फ़ासले दिल में ना हों;
    नज़दीकियां बेकार हैं अगर जगह दिल में ना हो!
  • अगर यकीन होता की कहने से रुक जायेंगे,<br/>
तो हम भी हँसकर उनको पुकार लेते;<br/>
मगर नसीब को मेरे ये मंजूर नहीं था,<br/>
के हम भी दो पल खुशी से गुजार लेते!Upload to Facebook
    अगर यकीन होता की कहने से रुक जायेंगे,
    तो हम भी हँसकर उनको पुकार लेते;
    मगर नसीब को मेरे ये मंजूर नहीं था,
    के हम भी दो पल खुशी से गुजार लेते!
  • ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;<br/>
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!Upload to Facebook
    ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;
    ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!