इश्क़ इबादत है, छोड़िये, आप ना कर सकेंगे; होशो हवास में दिन को रात, रात को दिन ना कह सकेंगे! |
तेरे इश्क़ की इंतेहा चाहता हूँ; मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ! |
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू; इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में। |
अपनी मोहब्बत पे फक़त इतना भरोसा है मुझे; मेरी वफायें तुझे किसी और का होने न देंगी। |
एक उम्र बीत चली है तुझे चाहते हुए; तू आज भी बेखबर है कल की तरह। |
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी, अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी; ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी, बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी |
होंठो पर देखो फिर आज मेरा नाम आया है, लेकर नाम मेरा देखो महबूब कितना शरमाया है; पूछे उनसे मेरी आँखें कितना इश्क है मुझसे, पलकें झुकाके वो बोले कि मेरी हर साँस में बस तू ही समाया है। |
सुबह होते ही जब दुनिया आबाद होती है, आँख खुलते ही दिल में आपकी याद होती है; खुशियों के फूल हों आपके आँचल में, ये मेरे होंठों पे पहली फ़रियाद होती है। |
उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ, पाबन्द कर गयी है किसी की नजर मुझे; ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ, काफ़िर बना गई तेरी काफ़िर-नज़र मुझे। |
तुम हँसो तो खुशी मुझे होती है, तुम रूठी तो आँखें मेरी रोती हैं; तुम दूर जाओ तो बेचैनी मुझे होती है, महसूस करके देखो मोहब्बत ऐसी होती है! |