बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर; वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे! |
कभी आँसू तो कभी खुशी देखी, हमने अक्सर मजबूरी और बेबसी देखी; उनकी नाराजगी को हम क्या समझें, हमने खुद की तकदीर की बेबसी देखी! |
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ; उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की! |
प्यार कर के कोई जताए ये ज़रूरी तो नहीं, याद कर के कोई बताये ये ज़रूरी तो नहीं; रोने वाले तो दिल में ही रो लेते हैं अपने, कभी आँख में आँसू आये ये ज़रूरी तो नहीं! |
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं; सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं! |
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई; तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं! |
ये अलग बात है कि दिखाई ना दे, पर शामिल जरूर होता है; खुदकुशी करने वाले का भी, कोई ना कोई कातिल जरूर होता है! |
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नजरों ने; लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सजा पाई! |
मैं तनहा था, मैं तनहा हूँ, तुम आओ तो क्या, न आओ तो क्या; जब देखने वाला कोई नहीं, बुझ जाओ तो क्या, जल जाओ तो क्या! |
एक पल में जो आकर गुजर जाये, ये हवा का वो झोका है और कुछ नहीं, प्यार कहती है दुनिया जिसे, एक रंगीन धोखा है और कुछ नहीं! |