याद उसे करो जो इंसान अच्छा हो, प्यार उसे करो जो इंसान सच्चा हो; साथ उसका दो जो इंसान इरादे का पक्का हो, और दिल उसको दो जो सूरत से नहीं दिल से अच्छा हो! |
एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली, और लोग कहते हैं की हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली! |
याददाश्त का कमज़ोर होना कोई बुरी बात नहीं; बहुत बैचेन रहते हैं वो लोग जिन्हें हर बात याद रहती है! |
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है; ज़िंदगी एक नज़्म लगती है! *नज़्म: कविता |
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है; दर्द दिल का लिबास होता है! |
आदतन तुम ने कर दिए वादे; आदतन हम ने ए'तिबार किया! |
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा; क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा! |
हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब; इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब! |
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ; उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की! |
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं; सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं! |