कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है; ज़िंदगी एक नज़्म लगती है! *नज़्म: कविता |
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है; दर्द दिल का लिबास होता है! |
आदतन तुम ने कर दिए वादे; आदतन हम ने ए'तिबार किया! |
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा; क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा! |
हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब; इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब! |
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ; उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की! |
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं; सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं! |
आप के बाद हर घड़ी हम ने; आप के साथ ही गुज़ारी है! |
हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना इंतज़ार किया! |
इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी; हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ! |