Gulzar Hindi Shayari

  • कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;</br>
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!</br></br>
*नज़्म: कविताUpload to Facebook
    कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;
    ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!

    *नज़्म: कविता
    ~ Gulzar
  • ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है;</br>
दर्द दिल का लिबास होता है!Upload to Facebook
    ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है;
    दर्द दिल का लिबास होता है!
    ~ Gulzar
  • आदतन तुम ने कर दिए वादे;</br>
आदतन हम ने ए'तिबार किया!Upload to Facebook
    आदतन तुम ने कर दिए वादे;
    आदतन हम ने ए'तिबार किया!
    ~ Gulzar
  • ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा;<br/>
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!Upload to Facebook
    ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा;
    क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!
    ~ Gulzar
  • हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब;<br/>
इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब!
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    हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब;
    इसी का नाम ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब!
    ~ Gulzar
  • कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ;<br/>
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की!Upload to Facebook
    कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ;
    उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की!
    ~ Gulzar
  • तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं;<br/>
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं!Upload to Facebook
    तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं;
    सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं!
    ~ Gulzar
  • आप के बाद हर घड़ी हम ने; <br/>
आप के साथ ही गुज़ारी है!Upload to Facebook
    आप के बाद हर घड़ी हम ने;
    आप के साथ ही गुज़ारी है!
    ~ Gulzar
  • हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना इंतज़ार किया!Upload to Facebook
    हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना इंतज़ार किया!
    ~ Gulzar
  • इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी;<br/>
हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ!Upload to Facebook
    इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी;
    हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ!
    ~ Gulzar