कौन पूछता है पिंजरे में बंद 'परिंदों' को ग़ालिब; याद वही आते हैं उड़ जाते हैं! |
ख़्वाबों की ज़मीन पर रखा था पाँव छिल गया; कौन कहता है ख्वाब मखमली होते हैं! |
ये किस अंदाज में तुमने मेरी मोहब्बत का सौदा किया; ना दूसरों के लायक छोड़ा ना खुद का होने दिया! |
फिर छलावे में हमदर्दों के चोट खाओगे; किसी को ज़ख्म दिखाए तो सज़ा पाओगे! |
ज़िंदगी सब्र के अलावा कुछ भी नहीं है, मैंने हर शख़्स को यहाँ ख़ुशियों का इंतजार करते देखा है! |
हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे, लफ़्ज़ कागज़ पर उतर जादूगरी करने लगे; क़ामयाबी जिसने पाई उनके घर तो बस गये, जिनके दिल टूटे वो आशिक़ शायरी करने लगे! |
कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते कहते रह गए; मैं सही तुम गलत के खेल में, न जाने कितने रिश्ते ढह गए! |
एक फ़क़त याद है जाना उसका; और कुछ उसके सिवा याद नहीं! |
हमने वक़्त से दोस्ती कर ली है, सुना है ये अच्छे अच्छों को बदल देता है! |
हम तो जोड़ना जानते है, तोड़ना सीखा ही नहीं; खुद टूट जाते हैं अक्सर लेकिन, किसी को छोड़ना सीखा ही नहीं! |