दर्द Hindi Shayari

  • जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं;</br>
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से!Upload to Facebook
    जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं;
    ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से!
    ~ Nazeer Siddiqui
  • आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब,</br>
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक;</br>
ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र,</br>
सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक!
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    आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब,
    दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक;
    ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र,
    सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक!
    ~ Mirza Ghalib, *सब्र-तलब: जिसमें सब्र और धैर्य की आवश्यकता हो
    *शब-ए-फ़ुर्क़त: जुदाई की रात
  • अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं;</br>
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या!Upload to Facebook
    अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं;
    अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या!
    ~ Jaun Elia
  • पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन;</br>
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है!Upload to Facebook
    पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन;
    जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है!
    ~ Sohail Azeemabadi
  • शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;</br>
आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!Upload to Facebook
    शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;
    आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!
    ~ Bashir Badr
  • जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से;</br>
रोज़ सुनते हैं बहार आई है!</br></br>
*गुलिस्ताँ: फूलों का बगीचाUpload to Facebook
    जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से;
    रोज़ सुनते हैं बहार आई है!

    *गुलिस्ताँ: फूलों का बगीचा
    ~ Jaleel Manikpuri
  • हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी;</br>
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है!Upload to Facebook
    हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी;
    हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है!
    ~ Irfan Siddiqi
  • सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती;</br>
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा!</br></br>
*ज़ब्त: सहनUpload to Facebook
    सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती;
    ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा!

    *ज़ब्त: सहन
    ~ Ashar Dehlavi
  • एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी;</br>
दर्द बे-चारा परेशान है कहाँ से निकले!Upload to Facebook
    एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी;
    दर्द बे-चारा परेशान है कहाँ से निकले!
    ~ Syed Hamid
  • तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए;</br>
तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए!Upload to Facebook
    तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए;
    तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए!
    ~ Asar Sahbai