किसको बर्दाश्त है खुशी आजकल; लोग तो दूसरों की अंतिम यात्रा की भीङ देखकर भी जल जाते हैं! |
मेरी शायरी को इतनी शिद्दत से ना पढा करो; गलती से कुछ समझ आ गया तो बेमतलब उलझ जाओगे! |
और भी कर देता है दर्द में इज़ाफ़ा; तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना! |
एक पल में एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए; दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए! |
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया; इतने घुटने टेके हमने, आख़िर घुटना टूट गया; देख शिकारी तेरे कारण एक परिन्दा टूट गया; पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन शीशा टूट गया! |
बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह; जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है! |
बरसों से कायम है इश्क़ अपने उसूलों पर; ये कल भी तकलीफ देता था और ये आज भी तकलीफ देता है! |
कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में; वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये! |
मेरी मौत पे किसी को अफ़सोस हो न हो ऐ दोस्त; पर तन्हाई रोएगी कि मेरा हमसफर चला गया! |
शायद उम्मीदें ही होती हैं ग़म की वजह; वरना ख़्वाहिशें रखना कोई गुनाह नही! |