तुफानों की दुश्मनी से न बचते तो खैर थी; साहिल से दोस्तों के भरम ने डुबो दिया। |
दुनिया की ठोकरों से एक ही सबक सीखा है ए दोस्त; तमाम मुश्किलों का हाल एक सज़दा-ए-खुद में छुपा है। |
तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में; सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में; एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा; फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में। |
कुछ खूबसूरत से पल किस्सा बन जाते है; जाने कब जिंदगी का हिस्सा बन जाता है; कुछ लोग अपने होकर भी अपने नहीं होते; और कुछ बेगाने होकर भी जिंदगी का हिस्सा बन जाते है। |
दोस्तों पर तो शराफत का असर होता नहीं; इसलिए मैं आज आया हूँ उतर औकात पर। |
है खबर अच्छी कि आजा मुंह तेरा मीठा करें; नफरतें तेरी हुई हैं बा-खुशी दिल को कुबूल। |
कोई मिला ही नहीं जिसकों वफ़ा देता; सभी ने धोखा दिया किस-किस को सजा देता; ये तो हम थे कि चुप रह गये वर्ना; दास्तान सुनाता तो महफ़िल को रुला देता। |
क्या पता था, दोस्त ऐसे भी दगा दे जाएगा; अपने दुश्मन को मेरे घर कापता दे जाएगा। |
जब से कुछ दोस्त, अमीर हो गये; नज़रों में उनकी, हम गरीब हो गये; गुजरी है जिनकी, सलाखों के पीछे; सियासत के दम पे, शरीफ हो गये। |
जब होता है तुम्हारा दीदार; दिल धङकता है बार-बार; आदत से मजबूर हो तुम; ना जाने कब माँग लो उधार। |