मयखाने की इज्जत का सवाल था जनाब; पास से गुजरे तो थोडा लडख़ड़ा दिए! |
अलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ पर; अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे। अर्थ: तिश्नगी - प्यास, पिपासा, तृष्णा, लालसा, अभिलाषा, इश्तियाक कामिल - पूरा, सम्पूर्ण, मुकम्मल पैमाने - शराब का गिलास, पानपात्र |
होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ; जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ; खौफ इस कदर होता है यादों का; जाम की महफिल में नजर आता हूँ! |
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं; जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं, ज़मीर नहीं! |
बात सजदों की नहीं नीयत की है; मयखाने में हर कोई शराबी नहीं होता! |
कुछ भी ना बचा कहने को हर बात हो गयी; आओ चलो शराब पियें रात हो गयी! |
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं; जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं ज़मीर नहीं! |
यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब से; इश्क की राहों में तन्हा मिली तो हमसफ़र बन गई! |
कर दो तब्दील अदालतों को मयखानों में साहब; सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता! |
मेरे घर से मयखाना इतना करीब न था, ऐ दोस्त कुछ लोग दूर हुए तो मयखाना करीब आ गया। |