मौत को भी जीना सिखा देंगे; बुझी जो शमा उसे जला देंगे; जिस दिन हम जाएंगे दुनिया से; एक बार तो दुश्मनों को भी रुला देंगे। |
सुना है वो जाते हुए कह गये के; अब तो हम सिर्फ आपके ख़्वाबों में ही आएँगे; कोई कह दे कि वो वादा कर ले; हम जिदंगी भर के लिए सो जाएंगे। |
निकले जब आँसू उसकी आँखो से; दिल करता है सारी दुनिया जला दूं; फिर सोचता हूं होंगे दुनिया में उसके भी अपने; कहीं अंजाने में मैं उसे और ना रुला दूं। |
ना मुस्कुराने को जी चाहता है; ना आंसू बहाने को जी चाहता है; लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में; बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है। |
उनकी याद में सब कुछ भुलाए बैठे है; चिराग खुशियों के सभी बुझाए बैठे है; हम तो मरेंगे बस उनकी बाँहों में; मौत के साथ ये शर्त लगाए बैठे है। |
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था; आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था; सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर; मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था। |
हम इस कदर मर मिटेंगे; तुम जहाँ देखोगे हम वहीं दिखेंगे; रखना हर पल इस दिल में हमारी याद; हमारे बाद हमारे दिल की दास्ताँ दुनिया वाले लिखेंगे। |
ए खुदा किसी को किसी पर फ़िदा मत करना; और अगर करे तो फिर उन्हें जुदा मत करना। |
लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से; इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे। |
हमें भी याद रखें जब लिखें तारीख गुलशन की; कि हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना। |