अरमान Hindi Shayari

  • इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह;</br>
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है!Upload to Facebook
    इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह;
    बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है!
    ~ Author Unknown
  • कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी;</br>
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए!Upload to Facebook
    कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी;
    कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए!
    ~ Shaad Aarfi
  • उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन;</br>
देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं!</br></br>
* शफ़्फ़ाफ़: निर्मलUpload to Facebook
    उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन;
    देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं!

    * शफ़्फ़ाफ़: निर्मल
    ~ Qateel Shifai
  • नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी;</br>
तो फिर दुनिया की परवाह क्यों करें हम!Upload to Facebook
    नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी;
    तो फिर दुनिया की परवाह क्यों करें हम!
    ~ Jaun Elia
  • बूढ़ों के साथ लोग कहाँ तक वफ़ा करें;</br>
बूढ़ों को भी जो मौत न आए तो क्या करें!Upload to Facebook
    बूढ़ों के साथ लोग कहाँ तक वफ़ा करें;
    बूढ़ों को भी जो मौत न आए तो क्या करें!
    ~ Akbar Allahabadi
  • हवा के दोश पे रखे हुए चिराग़ हैं हम;</br>
जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी!
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    हवा के दोश पे रखे हुए चिराग़ हैं हम;
    जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी!
    ~ Obaidullah Aleem
  • देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से;</br>
तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से!Upload to Facebook
    देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से;
    तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से!
    ~ Junaid Hazin Lari
  • देने वाले की मशिय्यत पे है सब कुछ मौक़ूफ़;</br>
माँगने वाले की हाजत नहीं देखी जाती!Upload to Facebook
    देने वाले की मशिय्यत पे है सब कुछ मौक़ूफ़;
    माँगने वाले की हाजत नहीं देखी जाती!
    ~ Parveen Shakir
  • सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं;<br/>
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं!Upload to Facebook
    सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं;
    अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं!
    ~ Asad Badayuni
  • हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी;<br/>
ख़ुदा करे कि जवानी तेरी रहे बे-दाग़!Upload to Facebook
    हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी;
    ख़ुदा करे कि जवानी तेरी रहे बे-दाग़!
    ~ Allama Iqbal