अरमान Hindi Shayari

  • आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या;<br/>
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या!Upload to Facebook
    आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या;
    क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या!
    ~ Akhtar Sheerani
  • हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन,<br/>
जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन;<br/>
या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत,<br/>
वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन!Upload to Facebook
    हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन,
    जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन;
    या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत,
    वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन!
  • इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा;<br/>
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है!Upload to Facebook
    इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा;
    अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है!
    ~ Akhtar Sheerani
  • शिकायतें ना रख तू दिल में,<br/>
जो पत्थर है वो कहाँ सुन पायेंगे;<br/>
तू हवा की तरह बेफिक्र बहता चल,<br/>
जो खुशबू होंगे वो तुझमें सिमटते जाएंगे!Upload to Facebook
    शिकायतें ना रख तू दिल में,
    जो पत्थर है वो कहाँ सुन पायेंगे;
    तू हवा की तरह बेफिक्र बहता चल,
    जो खुशबू होंगे वो तुझमें सिमटते जाएंगे!
  • यह मेरी ज़ात की सब से बड़ी तमन्ना थी,<br/>
काश, के वो मेरा होता, मेरे नाम की तरहँ!Upload to Facebook
    यह मेरी ज़ात की सब से बड़ी तमन्ना थी,
    काश, के वो मेरा होता, मेरे नाम की तरहँ!
    ~ Parveen Shakir
  • खरीद पाऊँ खुशियाँ उदास चेहरों के लिए;<br/> 
मेरे किरदार का मोल इतना करदे खुदा!Upload to Facebook
    खरीद पाऊँ खुशियाँ उदास चेहरों के लिए;
    मेरे किरदार का मोल इतना करदे खुदा!
  • अपनापन झलके जिसकी आँखों में;<br/>
कुछ ही शख्स होते है लाखों में!
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    अपनापन झलके जिसकी आँखों में;
    कुछ ही शख्स होते है लाखों में!
  • कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी;<br/>
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा!Upload to Facebook
    कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी;
    कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा!
  • तुझे बाँहों में भर लेने की ख़्वाहिश यूँ उभरती है;<br/>
कि मैं अपनी नज़र में आप रुस्वा हो सा जाता हूँ।<br/><br/>

रुस्वा  =  बदनामUpload to Facebook
    तुझे बाँहों में भर लेने की ख़्वाहिश यूँ उभरती है;
    कि मैं अपनी नज़र में आप रुस्वा हो सा जाता हूँ।

    रुस्वा = बदनाम
    ~ Jaan Nisar Akhtar
  • मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ;<br/>
सोचता हूँ कि तुम्हें हाथ लगा कर देखूँ!Upload to Facebook
    मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ;
    सोचता हूँ कि तुम्हें हाथ लगा कर देखूँ!