आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या; क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या! |
हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कौन, जब हम नहीं होंगे तो वफ़ा करेगा कौन; या रब मेरे महबूब को रखना तू सलामत, वर्ना मेरे जीने की दुआ करेगा कौन! |
इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा; अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है! |
शिकायतें ना रख तू दिल में, जो पत्थर है वो कहाँ सुन पायेंगे; तू हवा की तरह बेफिक्र बहता चल, जो खुशबू होंगे वो तुझमें सिमटते जाएंगे! |
यह मेरी ज़ात की सब से बड़ी तमन्ना थी, काश, के वो मेरा होता, मेरे नाम की तरहँ! |
खरीद पाऊँ खुशियाँ उदास चेहरों के लिए; मेरे किरदार का मोल इतना करदे खुदा! |
अपनापन झलके जिसकी आँखों में; कुछ ही शख्स होते है लाखों में! |
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी; कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा! |
तुझे बाँहों में भर लेने की ख़्वाहिश यूँ उभरती है; कि मैं अपनी नज़र में आप रुस्वा हो सा जाता हूँ। रुस्वा = बदनाम |
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ; सोचता हूँ कि तुम्हें हाथ लगा कर देखूँ! |