अच्छा हुआ कि तूने हमें तो़ड़ कर रख दिया; घमंड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का! |
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद; अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इज़हार नहीं करते! |
इज़हार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उन का; आँखें तो रज़ा-मंद हैं, लब सोच रहे हैं! |
तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन नहीं; मेरा भी वजूद है, मैं कोई आइना नहीं! |
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं; जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं! |
दिल का बुरा नहीं हूँ; बस लफ्जों मे थोड़ी शरारत लिए फिरता हूँ! |
तमन्ना फ़िर मचल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ; यह मौसम ही बदल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ; मुझे गम है कि मैंने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया; यह गम दिल से निकल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ! |
सुना है सब कुछ मिल जाता है दुआ से; मिलते हो खुद, या माँगू तुम्हें खुदा से! |
इक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा; क़रीब से गुज़रा हर शख्स पूछता है कौन सा इत्र है जनाब! |
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे, जैसे कोई गम छुपा रहे थे; बारिश में भीग के आये थे मिलने, शायद वो आँसू छुपा रहे थे! |