वो शख्स मिला तो महसूस हुआ मुझे; मेरी ये उम्र मोहब्बत के लिए बहुत है कम! |
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर; तुझसे फासला भी शायद उन की बददुआओं का असर है! |
उड़ रही है पल पल ज़िन्दगी रेत सी; और हमको वहम है कि हम बडे हो रहे हैं! |
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से; देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में! |
अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता; तो खुदा होता या तेरा दिल होता! |
समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता; हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता! |
मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा हूँ कि मैं ज्यादा समझदार हूँ; बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि मैंने जिन्दगी में गलतियां तुम से ज्यादा की हैं! |
न कोई फ़साना छेड़ा, न कोई बात हुई; कहने को कह लीजिये, कि मुलाक़ात हुई! |
किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी; फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे! |
मैं जिस्म ओ जान के खेल में बे-बाक हो गया; किस ने ये छू दिया है कि मैं चाक हो गया; किस ने कहा वजूद मेरा खाक हो गया; मेरा लहू तो आप की पोशाक हो गया! |