गिला शिकवा Hindi Shayari

  • जो उन मासूम आँखों ने दिए थे;<br/>
वो धोखे आज तक मैं खा रहा हूँ!Upload to Facebook
    जो उन मासूम आँखों ने दिए थे;
    वो धोखे आज तक मैं खा रहा हूँ!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • बुरा तो हमें हर कोई बताता है ऐ दोस्त;<br/>
अब तू बता... तेरे सुनने में क्या आया!Upload to Facebook
    बुरा तो हमें हर कोई बताता है ऐ दोस्त;
    अब तू बता... तेरे सुनने में क्या आया!
  • मंजिलें मुझे छोड़ गयी रास्तों ने संभाल लिया;<br/>
जिंदगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया!Upload to Facebook
    मंजिलें मुझे छोड़ गयी रास्तों ने संभाल लिया;
    जिंदगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया!
  • कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा;<br/>
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिखा भी बदलता है!Upload to Facebook
    कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा;
    मुझे मालूम है क़िस्मत का लिखा भी बदलता है!
  • अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे;<br/>
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे!<br/>
* बे-हिस- बेसुधUpload to Facebook
    अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे;
    बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे!
    * बे-हिस- बेसुध
    ~ Shakeel Badayuni
  • सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये;<br/>
कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने!Upload to Facebook
    सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये;
    कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने!
  • अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ;<br/>
वीरानियाँ तो सब मेरे दिल में उतर गईं!Upload to Facebook
    अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ;
    वीरानियाँ तो सब मेरे दिल में उतर गईं!
  • आधे से कुछ ज्यादा हैं पूरे से कुछ कम;<br/>
कुछ जिन्दगी, कुछ गम, कुछ इश्क, कुछ हम!Upload to Facebook
    आधे से कुछ ज्यादा हैं पूरे से कुछ कम;
    कुछ जिन्दगी, कुछ गम, कुछ इश्क, कुछ हम!
  • हम रूठे भी तो किसके भरोसे रूठें;<br/>
कौन है जो आयेगा हमें मनाने के लिए!Upload to Facebook
    हम रूठे भी तो किसके भरोसे रूठें;
    कौन है जो आयेगा हमें मनाने के लिए!
  • न तेरी शान कम होती न रुतबा ही घटा होता;<br/>
जो गुस्से में कहा तुमने वही हँस के कहा होता!Upload to Facebook
    न तेरी शान कम होती न रुतबा ही घटा होता;
    जो गुस्से में कहा तुमने वही हँस के कहा होता!