ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों में हम; रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है! |
कुछ यूं हो रहा है आजकल रिश्तों में विस्तार; जितना जिस से मतलब उतना उस से प्यार! |
मसला तो सिर्फ एहसासों का है, जनाब; रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते हैं! |
दुनिया देखते देखते कितनी बेगैरत हो गयी; हम जरा सा क्या बदले, सबको हैरत हो गयी! |
सफर-ए-जिन्दगी मेँ जब कोई, मुश्किल मकाम आया; ना गैरोँ ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया! |
मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें; कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे! |
कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी; सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा! |
वक्त-वक्त की बात है; कल जो रंग थे, आज दाग हो गये। |
जरुरी नहीं है कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाए; अंदाज बदल कर बोलने से भी बहुत कुछ टूट जाता है! |
नजर से दूर रहकर भी किसी की सोच में रहना; किसी के पास रहने का तरीका हो तो ऐसा हो! |