मेरी हस्ती को तुम क्या पहचानोगे, हजारों मशहूर हो गए मुझे बदनाम करते करते। |
दाम अक्सर ऊंचे होते हैं ख़्वाहिशों के; मगर खुशियां हरगिज़ महंगी नहीं होती! |
उलझे हुए हैं अपनी उलझनों मे आज कल; आप ये न समझना के अब वो लगाव नहीं रहा! |
सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना; कहीं कोई थक ना जाए तुम्हें एहसास दिलाते-दिलाते! |
क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूछकर; हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है! |
मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की; हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे! |
मोहब्बत थी, तो चाँद अच्छा था; उतर गई, तो दाग भी दिखने लगे! |
मेरा झुकना, और तेरा खुदा हो जाना; यार, अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना! |
गिला शिकवा तो बस साँसें चलने तक होता है; बाद में तो आँख में आँसू और दिल में पछतावा रह जाता है! |
दुनिया भी कितनी अजीब जगह है; जब चलना नही आता था, तब कोई गिरने नही देता था; और जबसे चलना सिखा है, कदम कदम पर लोग गिराना चाहते है! |