मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ; जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला! |
नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो; मैं वही हूँ, जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी। |
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ; एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में! |
मैं इस काबिल तो नही कि कोई अपना समझे, पर इतना यकीन है, कोई अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद। |
ये रस्म, ये रिवाज, ये कारोबार वफ़ाओं का सब छोड़ आना तुम; मेरे बिखरने से जरा पहले लौट आना तुम। |
पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का, फर्क सिर्फ इतना है कुदरत में पत्ते सूखते हैं और हकीकत में रिश्ते। |
यूँ तो सिखाने को जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है; मगर झूठी हँसी हँसने का हुनर तो मोहब्बत ही सिखाती है। |
ऐ चाँद जा, क्यों आया है अब मेरी चौखट पर; छोड़ गया है वो शख्स, जिसकी याद में तुम्हें देखा करते थे। |
कभी फुर्सत मिले तो इतना जरुर बताना; वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हें दे ना सके। |
तुम मुझे हँसी-हँसी में खो तो दोगे, पर याद रखना फिर आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे। |