उससे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत भी कोई चीज़ है; ज़िन्दगी वो थी जो उसकी महफ़िल में गुज़ार आए। |
मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बताई न गयी, चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी; चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर, दूरी इतनी थी कि मिटाई न गयी। |
तुझसे दूर रहकर कुछ यूँ वक़्त गुजारा मैंने; ना होंठ हिले फिर भी तुझे पल-पल पुकारा मैंने। |
बस इतने करीब रहो कि; अगर बात ना भी हो तो दूरी ना लगे! |
तुझसे दूरी का एहसास सताने लगा, तेरे साथ गुज़रा हर पल याद आने लगा; जब भी कोशिश की तुझे भूलने की, तू और ज्यादा दिल के करीब आने लगा। |
बहुत अंदर तक बसा था वो शख़्स मेरे; उसे भूलने के लिए बड़ा वक़्त चाहिए! |
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद; वक़्त कितना क़ीमती है आज कल! |
न जाने रूठ के बैठा है दिल का चैन कहाँ; मिले तो उस को हमारा कोई सलाम कहे! |
जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए, यादों के साये भी हमसे दूर हो गए, हो गए तन्हा इस महफ़िल में, हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए! |
मेरे दोस्त कुछ फासले ऐसे भी होते हैं; जो तय नहीं होते मगर नज़दीकियां रखते हैं! |