ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर, आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो; कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा, आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो! |
दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है, टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है; किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो, अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है! |
डुब कर सुरज ने मुझे और भी तन्हा कर दिया; मेरा साया भी अलग हो गया मेरे अपनो की तरह! |
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी; सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी! |
है कितना बदनसीब 'ज़फ़र' दफ़्त के लिए; दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में! |
अजनबी शहर में जब पीछे से पत्थर लगा हमें; तो ज़ख्म भी चीख उठा लो यहां भी अपने मौजूद हैं! |
अगर सलीके से तोड़ते तुम मुझे; मेरे टुकड़े भी तुम्हारे काम आते! |
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है; हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है! |
हम अपना दर्द किसी को कहते नही, वो सोचते हैं कि हम तन्हाई सहते नहीं; आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे, क्योंकि सूखे हुए दरिया कभी बहते नहीं। |
आलम ए बेक़रारी बता रहे हो; जाने क्या बात हुई कभी मोहब्बत तो कभी ख़ुशी लुटा रहे हो! |