कुछ इस तरह अपने दिल को बेवकूफ बनाता हूँ मैं; कि तुमसे बिछड़ते वक़्त भी खुल के मुस्कुराता हूँ मैं। |
पानी पानी कर गयी मुझको कलंदर की वो बात; तू झुका जो ग़ैर के आगे न तन तेरा न मन तेरा! |
ऐसा नहीं देखा कहीं हाल किसी और का; पहलू में कोई और ख्याल और किसी का! |
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब; यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी! |
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ; दिल को किस बात ने उदास किया! |
गिरते हुऐ "अश्क" की "कीमत" "न" पूछना; इश्क़" के हर बूंद में "लाखों" "सवाल" होते हैं! |
शर्मिंदा होंगे, जाने भी दो इम्तिहान को; रखेगा तुम को कौन अज़ीज़, अपनी जान से! |
इतना दर्द तो मुझे मरने से भी नही होगा; जितना दर्द तुम्हारी खामोशी ने दिया है! |
हम तो फूलों की तरह, अपनी आदत से बेबस हैं; तोडने वाले को भी, खुशबू की सजा देते हैं! |
बुलंदीयो को पाने कि ख्वाईश तो बहुत हे मेरी; मगर ओरो को रोंदने का हुनर कहा से लाऊ! |