दर्द Hindi Shayari

  • खतम हो गई कहानी, बस कुछ अलफाज बाकी हैं;<br/>
एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी है। Upload to Facebook
    खतम हो गई कहानी, बस कुछ अलफाज बाकी हैं;
    एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी है।
  • नही है हमारा हाल, कुछ तुम्हारे हाल से अलग;<br/>
बस फ़र्क है इतना, कि तुम याद करते हो,<br/>
और हम भूल नही पाते।Upload to Facebook
    नही है हमारा हाल, कुछ तुम्हारे हाल से अलग;
    बस फ़र्क है इतना, कि तुम याद करते हो,
    और हम भूल नही पाते।
  • उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है,<br/>
जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी।Upload to Facebook
    उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है,
    जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी।
  • बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही,<br/>
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी - कभी।Upload to Facebook
    बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही,
    ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी - कभी।
  • ये जो खामोश से अल्फाज़ लिखेे हैं ना,<br/>
पढना कभी ध्यान से चीखते कमाल हैं।Upload to Facebook
    ये जो खामोश से अल्फाज़ लिखेे हैं ना,
    पढना कभी ध्यान से चीखते कमाल हैं।
  • ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की तुम शिद्दत,<br/>
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या और ज्यादा क्या।Upload to Facebook
    ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की तुम शिद्दत,
    दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या और ज्यादा क्या।
  • पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,<br/>
दिल में क्या है वो बात नही समझती,<br/>
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,<br/>
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती।Upload to Facebook
    पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
    दिल में क्या है वो बात नही समझती,
    तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
    पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती।
  • कौन चाहता है खुद को बदलना,<br/>
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है।Upload to Facebook
    कौन चाहता है खुद को बदलना,
    किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है।
  • परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;<br/>
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।Upload to Facebook
    परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
    अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।
    ~ Mumtaz Rashid
  • फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;<br/>
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की;<br/>
तुम भी छोड़कर चले गए हमें;<br/>
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।Upload to Facebook
    फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;
    निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की;
    तुम भी छोड़कर चले गए हमें;
    अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।