दर्द से हम अब खेलना सीख गए; बेवफाई के साथ अब हम जीना सीख गए; क्या बतायें किस कदर दिल टूटा है हमारा; मौत से पहले हम कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गए। |
तेरी याद में ज़रा आँखें भिगो लूँ; उदास रात की तन्हाई में सो लूँ; अकेले ग़म का बोझ अब संभलता नहीं; अगर तू मिल जाये तो तुझसे लिपट कर रो लूँ। |
हमें भी याद रखें जब लिखें तारीख गुलशन की; कि हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना। |
मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में, कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में, वो शक्ल पिघली तो हर शय में ढल गयी जैसे, अजीब बात हुई है उसे भुलाने में, जो मुंतज़िर ना मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा, कि हमने देर लगा दी पलट के आने में। |
मुझ को तो होश नहीं तुमको खबर हो शायद; लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद कर दिया। |
मैंने रब से कहा वो चली गयी मुझे छोड़कर, उसकी जाने क्या मज़बूरी थी; रब ने मुझसे कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं, यह कहानी मैंने लिखी ही अधूरी थी। |
ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह; तुझे भी बदल देते हैं यह लोग तोड़ने के बाद। |
मत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगी; उस दौर से गुज़र रहा हूँ जो गुज़रता ही नहीं। |
तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर हैं कि मर जायें; वही आँसू, वही आहें, वही ग़म है जिधर जायें; कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता; वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जायें जिधर जायें। |
सब कुछ बदला बदला था जब बरसो बाद मिले; हाथ भी न थाम सके वो इतने पराये से लगे। |