उसे लगता है उसकी चालाकियाँ मुझे समझ नही आती; मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ उसे अपनी नज़रों से गिरते हुए। |
'एहसान' ऐसा तलख जवाब-ए-वफ़ा मिला; हम इस के बाद फिर कोई अरमां न कर सके। |
एक बेवफा के ज़ख्मों पर मरहम लगाने हम गए; मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए। |
जीने की तमन्ना बची कहाँ है; भुलाया जो है हमें आपने; यह तो बेवफ़ाई की हद ही है; जिसे पार किया था हमने। |
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने; उसने माँगा वो सब दे दिया मैंने; वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी; समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने। |
मेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफा का क़सूर; जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला। |
ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते; दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते; चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला; सभी अगर अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते। |
लम्हा लम्हा सांसें ख़तम हो रही हैं; ज़िंदगी मौत के पहलू में सो रही है; उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह; वो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है। |
मैंने कहा मुझे छोड़ दो या तोड़ दो; वो बेवफ़ा हँस के बोली, "इतने नायाब तोहफ़े रोज़-रोज़ नहीं मिला करते।" |
कहते थे जो तेरी खातिर जान भी लुटा देंगे; आज कहते हैं मेरा हाथ छोड़ दो इज्जत का सवाल है। |