बेवफ़ाई Hindi Shayari

  • जो ज़ख्म दे गए हो आप मुझे;<br/>
ना जाने क्यों वो ज़ख्म भरता नहीं;<br/>
चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिलें;<br/>
मगर ये जो दिल है कमबख्त कुछ समझता ही नहीं।Upload to Facebook
    जो ज़ख्म दे गए हो आप मुझे;
    ना जाने क्यों वो ज़ख्म भरता नहीं;
    चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिलें;
    मगर ये जो दिल है कमबख्त कुछ समझता ही नहीं।
  • किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ 'फ़राज़' कब तक;
    जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ।
    ~ Ahmad Faraz
  • आग दिल में लगी जब वो खफा हुए;
    महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए;
    करके वफ़ा कुछ दे ना सकें वो;
    पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफा हुए।
  • तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना;
    तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना;
    मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना;
    शौंक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
  • महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;<br/>
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है;<br/>
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे;<br/>
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।Upload to Facebook
    महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;
    ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है;
    कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे;
    आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
  • कोई भी नहीं यहाँ पर अपना होता;
    इस दुनिया ने ये सिखाया है हमको;
    उसकी बेवफाई का ना चर्चा करना;
    आज दिल ने ये समझाया है हमको
  • ज़िंदगी से बस यही एक गिला है;<br/>
ख़ुशी के बाद न जाने क्यों गम मिला है;<br/>
हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के;<br/>
पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है।Upload to Facebook
    ज़िंदगी से बस यही एक गिला है;
    ख़ुशी के बाद न जाने क्यों गम मिला है;
    हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के;
    पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है।
  • कभी करीब तो कभी जुदा था तू;<br/>
जाने किस-किस से ख़फ़ा है तू;<br/>
मुझे तो तुझ पर खुद से ज्यादा यकीन था;<br/>
पर ज़माना सच ही कहता था कि बेवफ़ा है तू।Upload to Facebook
    कभी करीब तो कभी जुदा था तू;
    जाने किस-किस से ख़फ़ा है तू;
    मुझे तो तुझ पर खुद से ज्यादा यकीन था;
    पर ज़माना सच ही कहता था कि बेवफ़ा है तू।
  • वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि;
    जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं;
    कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने;
    फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं।
  • उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है;
    नाम लब पर है और जान बाकी है;
    क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते हैं;
    तसल्ली है कि शक्ल की पहचान बाकी है।