साकी और शराब Hindi Shayari

  • मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं;
    जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं ज़मीर नहीं!
    ~ Manjesh Rathee
  • तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा;
    नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख!
    ~ Mirza Ghalib
  • ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो,</br>
ये मय है मय उसे औरों को भी पिला के पियो;</br>
ग़म-ए-जहाँ को ग़म-ए-ज़ीस्त को भुला के पियो,</br>
हसीन गीत मोहब्बत के गुनगुना के पियो!</br></br>
*मय:  शराबUpload to Facebook
    ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो,
    ये मय है मय उसे औरों को भी पिला के पियो;
    ग़म-ए-जहाँ को ग़म-ए-ज़ीस्त को भुला के पियो,
    हसीन गीत मोहब्बत के गुनगुना के पियो!

    *मय: शराब
    ~ Sant Darshan Singh
  • शब को मय ख़ूब पी, सुबह को तौबा कर ली;</br>
रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई।Upload to Facebook
    शब को मय ख़ूब पी, सुबह को तौबा कर ली;
    रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई।
    ~ Jaleel Manikpuri
  • इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;</br>
सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!</br>
*तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बतानाUpload to Facebook
    इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;
    सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!
    *तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बताना
    ~ Abdul Hameed Adam
  • शब जो हम से हुआ माफ़ करो;
नहीं पी थी बहक गए होंगे!Upload to Facebook
    शब जो हम से हुआ माफ़ करो; नहीं पी थी बहक गए होंगे!
    ~ Jaun Elia, *शब: रात
  • कभी उन मद-भरी आँखों से पिया था इक जाम;</br>
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं!Upload to Facebook
    कभी उन मद-भरी आँखों से पिया था इक जाम;
    आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं!
    ~ Jigar Moradabadi
  • आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं;</br>
साक़ी ने इस मक़ाम को आसाँ बना दिया!</br></br>
*आलम : दुनियाUpload to Facebook
    आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं;
    साक़ी ने इस मक़ाम को आसाँ बना दिया!

    *आलम : दुनिया
    ~ Asghar Gondvi
  • पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी;</br>
साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में!</br></br>
*तिश्नगी: प्यासUpload to Facebook
    पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी;
    साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में!

    *तिश्नगी: प्यास
    ~ Author Unknown
  • नशा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर;</br>
हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें!Upload to Facebook
    नशा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर;
    हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें!
    ~ Irfan Ahmad