जब भी उमड़े हैँ सैलाब तेरे तसव्वुर के, मयख़ाना गवाह है कैसे हर जाम बेअसर हुआ है! |
आये थे हँसते खेलते मैख़ाने में 'फ़िराक़'; जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए! |
ना बात कर पीने पिलाने की, मेरा ग़ज़लों में मयखाना है; मैं शायर भी पुराना हूँ, और मेरा तज़ुर्बा भी पुराना है| |
आये थे हँसते खेलते मैख़ाने में 'फ़िराक़'; जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए! |
मयखाने की इज़्ज़त का सवाल था हुज़ूर, सामने से गुज़रे तो, थोडा सा लड़खड़ा दिए! |
कर दो तब्दील अदालतों को मय खानों में; सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता! |
या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय; या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ! मानिंद-ए-जाम-ए-मय: शराब के पात्र की तरह |
या हाथों हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय; या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ! |
एक पल में ले गई सारे ग़म खरीदकर; कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की। |
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ; रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन। |