मुस्कुराना भी क्या ग़ज़ब है तेरा; जैसे बिजली चमक गयी कोई! |
आँखों में सितारे रहने दे; जीने के सहारे रहने दे! |
तेरी आँखें ने रहीं आईना-खाना मिरे दोस्त; कितनी तेजी से बदलता है ज़माना मिरे दोस्त! |
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा; कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा! |
होश में आऊँ तो सोचूँ अभी देखा क्या है; फिर ये पूछूँ कि ये पर्दा है तो जल्वा क्या है! |
सर किया ज़ुल्फ़ की शब को तो सहर तक पहुँचे; वर्ना हम लोग कहाँ हुस्न-ए-नज़र तक पहुँचे! |
जो सूरुर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में; बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में! |
क़ैद ख़ानें हैं, बिन सलाख़ों के; कुछ यूँ चर्चें हैं, तुम्हारी आँखों के! |
उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए; अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे! |
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में; या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर! |