Khwaja Mir Dard Hindi Shayari

  • मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए;</br>
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से!</br></br>
*इबारत: प्रतीकUpload to Facebook
    मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए;
    कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से!

    *इबारत: प्रतीक
    ~ Khwaja Mir Dard
  • अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके;<br/>
मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके!<br/><br/>

अर्ज़-ओ-समा  =  धरती और आकाश<br/>  
वुसअत  =  विशालता, सम्पूर्णताUpload to Facebook
    अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके;
    मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके!

    अर्ज़-ओ-समा = धरती और आकाश
    वुसअत = विशालता, सम्पूर्णता
    ~ Khwaja Mir Dard
  • न कोई इलज़ाम न कोई तंज़, न कोई रुसवाई मीर;<br/>
दिन बहुत हो गए यारों ने कोई इनायत नहीं की!Upload to Facebook
    न कोई इलज़ाम न कोई तंज़, न कोई रुसवाई मीर;
    दिन बहुत हो गए यारों ने कोई इनायत नहीं की!
    ~ Khwaja Mir Dard