बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए; हम एक बार तेरी आरज़ू भी खो देते! |
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्ना, थी आरजू तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करें! ग़म-ए-हयात = ज़िन्दगी का ग़म |
सैर-ए-साहिल कर चुके ऐ मौज-ए-साहिल सिर ना मार; तुझ से क्या बहलेंगे तूफानों के बहलाए हुए! |
बचा लिया मुझे तूफां की मौज ने वर्ना; किनारे वाले सफीना मेरा डुबो देते। अर्थ: सफीना - नाव |
मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगर; लोग आते गए और कारवां बनता गया। |
दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें; तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें। |
अलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ पर; अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे। अर्थ: तिश्नगी - प्यास, पिपासा, तृष्णा, लालसा, अभिलाषा, इश्तियाक कामिल - पूरा, सम्पूर्ण, मुकम्मल पैमाने - शराब का गिलास, पानपात्र |