देख कर हम को न पर्दे में तू छुप जाया कर; हम तो अपने हैं मियाँ ग़ैर से शरमाया कर! |
छेड़ मत हर दम न आईना दिखा; अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम! |
ज़रा देखे कोई दैर-ओ-हरम को; मेरा वो यार हरजाई कहाँ है! |
अल्लाह-रे तेरे सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश; जाता है जी उधर ही खिंचा काएनात का! |
आँखों को फोड़ डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ; या इश्क़ की पकड़ कर गर्दन मरोड़ डालूँ| |