दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता; दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए! |
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो; किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं, तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो! |
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक; जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा! |
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था; सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला! *रुख़्सत:बिछड़ना |
फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है; वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो! |
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है; मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है! |
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता; तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो, जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता! *मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण *ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलता |
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो; सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो! |
सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें; क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता! |
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता; मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो! |