Nida Fazli Hindi Shayari

  • दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता;<br />
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए!Upload to Facebook
    दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता;
    दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए!
    ~ Nida Fazli
  • सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,</br>
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो;</br>
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,</br>
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो!Upload to Facebook
    सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
    सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो;
    किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,
    तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक;</br>
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा!Upload to Facebook
    एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक;
    जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा!
    ~ Nida Fazli
  • उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था;
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला!
*रुख़्सत:बिछड़नाUpload to Facebook
    उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था; सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला! *रुख़्सत:बिछड़ना
    ~ Nida Fazli
  • फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है;</br>
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो!Upload to Facebook
    फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है;
    वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो!
    ~ Nida Fazli
  • दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है;</br>
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है!Upload to Facebook
    दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है;
    मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है!
    ~ Nida Fazli
  • कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,</br>
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;</br>
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,</br>
जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!</br></br>
*मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण</br>
*ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलताUpload to Facebook
    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
    कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;
    तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,
    जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!

    *मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण
    *ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलता
    ~ Nida Fazli
  • सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;</br>
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!Upload to Facebook
    सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;
    सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें;</br>
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता!Upload to Facebook
    सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें;
    क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता!
    ~ Nida Fazli
  • यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता;</br>
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो!Upload to Facebook
    यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता;
    मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli