Saghar Siddiqui Hindi Shayari

  • काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;<br/>
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!Upload to Facebook
    काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;
    फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!
    ~ Saghar Siddiqui
  • ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा;</br>
जा चुकी है बहार चुप हो जा!Upload to Facebook
    ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा;
    जा चुकी है बहार चुप हो जा!
    ~ Saghar Siddiqui
  • लोग कहते हैं रात बीत चुकी;</br>
मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ!Upload to Facebook
    लोग कहते हैं रात बीत चुकी;
    मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ!
    ~ Saghar Siddiqui