Saghar Siddiqui Hindi Shayari

  • काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;<br/>
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!Upload to Facebook
    काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;
    फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!
    ~ Saghar Siddiqui
  • ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा;</br>
जा चुकी है बहार चुप हो जा!Upload to Facebook
    ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा;
    जा चुकी है बहार चुप हो जा!
    ~ Saghar Siddiqui
  • लोग कहते हैं रात बीत चुकी;</br>
मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ!Upload to Facebook
    लोग कहते हैं रात बीत चुकी;
    मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ!
    ~ Saghar Siddiqui
  • पूछा किसी ने हाल...

    पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए;
    पानी के अक्स चाँद का देखा तो रो दिए;

    नग़्मा किसी ने साज़ पे छेड़ा तो रो दिए;
    ग़ुंचा किसी ने शाख़ से तोड़ा तो रो दिए;

    उड़ता हुए ग़ुबार सर-ए-राह देख कर;
    अंजाम हम ने इश्क़ का सोचा तो रो दिए;

    बादल फ़ज़ा में आप की तस्वीर बन गए;
    साया कोई ख़याल से गुज़रा तो रो दिए;

    रंग-ए-शफ़क़ से आग शगूफ़ों में लग गई;
    'साग़र' हमारे हाथ से छलका तो रो दिए।
    ~ Saghar Siddiqui
  • पूछा किसी ने हाल...

    पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए;
    पानी में अक्स चाँद का देखा तो रो दिए;

    नग़्मा किसी ने साज़ पे छेड़ा तो रो दिए;
    ग़ुंचा किसी ने शाख़ से तोड़ा तो रो दिए;

    उड़ता हुए ग़ुबार सर-ए-राह देख कर;
    अंजाम हम ने इश्क़ का सोचा तो रो दिए;

    बादल फ़ज़ा में आप की तस्वीर बन गए;
    साया कोई ख़याल से गुज़रा तो रो दिए;

    रंग-ए-शफ़क़ से आग शगूफ़ों में लग गई;
    'साग़र' हमारे हाथ से छलका तो रो दिए।
    ~ Saghar Siddiqui
  • उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझायी हुई कलियां;
    न तुम आये तो यूँ जश्न-ए-बहारा कर लिया मैंने।
    ~ Saghar Siddiqui